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इस पोस्ट में पाठ्यक्रम क्या है पाठ्यक्रम का महत्व, पाठ्यक्रम की विशेषताएं, पाठ्यक्रम के लाभ, पाठ्यक्रम की आवश्यकता एवं पाठ्यक्रम के दोष के बारे में बताया गया है। यह टॉपिक यूजीसी नेट, स्लेट एवं सभी टीचिंग एग्जाम की दृष्टि से बहुत महत्पूर्ण टॉपिक है, धन्यवाद।

पाठ्यक्रम:- किसी भी स्तर की शिक्षा या प्रशिक्षण के लिये निर्धारित विषयों, उपविषयों एवं उन विषयों से सम्बन्धित सामग्री की व्यवस्थित एवं विधिवत तरीके से प्रस्तुति ही पाठ्यक्रम (syllabus) कहलाता है। शिक्षक और छात्र यह अच्छी तरह समझने में मदद करता है कि अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिऐ लिऐ गए पाठ्यक्रम को निर्धारित समय में पढ़ा कर/पढ़ा कर प्राप्त करना हैI

  1. पाठ्यक्रम किसी भी शिक्षा परिषद (बोर्ड), यूनिवर्सिटी, मान्यता प्राप्त सस्थाओ द्वारा उद्देश्य प्राप्ति के लिऐ निर्धारित किया जाता है और पाठ्यक्रम को शिक्षा परिषद की और शिक्षा सस्थाओ के अनुसधान से उद्देश्य प्राप्ति में अधिक सहायक स्थित में बदलाव भी क्या जा सकता है पाठ्यक्रम का शिक्षा में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। पाठ्यक्रम द्वारा ही शिक्षा प्राप्ति की रूपरेखा तैयार होती हैI

पाठ्यक्रम बनाते समय ध्यान में रखने वाले बिंदु:- पाठ्यक्रम जब किसी शिक्षा परिषद (बोर्ड), यूनिवर्सिटी, मान्यता प्राप्त सस्थाओ द्वारा निर्माण एवं विकास किया जाता है तो उसके निर्माण की प्रक्रिया अनेकों तथ्यों व सिद्धान्तों पर निर्भर करती है। पाठ्यक्रम के मुख्य आधार निम्न हो सकते हैंI

1- दार्शनिक आधार,

2- मनोवैज्ञानिक आधार,

3- ऐतिहासिक आधार,

4- सामाजिक आधार,

5- सांस्कृतिक आधार,

6- वैज्ञानिक आधार, आदि।

पाठ्यक्रम निर्माण की विशेषताएं: पाठ्यक्रम निर्माण में दार्शनिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं वैज्ञानिक प्रवृत्तियों के महत्व को ध्यान में रख कर निर्माण किया जाता हैI जिसके निम्न विशेषताऐ होनी चाहिएI

1-जीवन से संबंधित होता है

2- शैक्षिक उद्देश्यों से अनुरूप होता है

3-उपयोगिता वाला होता

4- बाल-केन्द्रियता होता है

5- रचनात्मक एवं सृजनात्मक शक्तियों के उपयोग वाला होता है

6-खेल एवं कार्य की क्रियाओं के अन्तःसंबंध का रखने वाला होता है

7-संस्कृति एवं सभ्यता के ज्ञान देने वाला

8-व्यक्तिगत भिन्नता एवं लचीलेपन के अधार

9-अग्रदर्शिता का सिद्धांत वाला होता है

10- अनुभवों की पूर्णता का सिद्धांत वाला

11-उत्तम आचरण के आदर्शों की प्राप्ति का सिद्धांत

12- जीवन संबंधी क्रियाओं एवं अनुभवों के समावेश का सिद्धांत वाला

13-विकास की सतत् प्रक्रिया का सिद्धांत

14- सामुदायिक जीवन से संबंध का सिद्धांत

15- अवकाश के लिए प्रशिक्षण का सिद्धांत

16- जनतन्त्रीय भावना के विकास का सिद्धांत प्रेषित कराने वाला

17-सह-संबंध का सिद्धांत

वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष:- भारत में वर्तमान में जो पाठ्यक्रम शिक्षा परिषद (बोर्ड), यूनिवर्सिटी, मान्यता प्राप्त सस्थाओ में प्रचलित है वह कुछ दोषपूर्ण है। जिसको निम्न बिंदुओ द्वारा बताया जा सकता हैI

1-वर्तमान पाठ्यक्रम संकुचित दृष्टिकोण से निर्मित है।

2-इसमें पुस्तकीय एवं सैद्धान्तिक ज्ञान पर अत्यधिक बल दिया गया है।

3-इसमें व्यवहारिक महत्वपूर्ण एवं सम्पन्न सामग्री का अभाव है।

4-पाठ्यक्रम की अनावश्यक तथ्यों एवं सूक्ष्म विवरणों वाला है

5-वर्तमान पाठ्यक्रम स्मृति पर बहुत भार पड़ता है।

6- वर्तमान पाठ्यक्रम में क्रियात्मक एवं व्यावहारिक कार्यों का अभाव है

7- इसमें बालक की आवश्यकताओं एवं क्षमताओं का विशेष ध्यान नहीं रखा गया है।

8- व्यक्तिगत विभिन्नता की उपेक्षित की गईं है।

9- वर्तमान पाठ्यक्रम में लिखित परीक्षाओं का सर्वाधिक महत्व है।

10- आर्थिक एवं औद्योगिक विकास का कम महत्त्व वाला है I

11- वर्तमान युग को देखे हुए तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा की प्राइमरी और माध्यम शिक्षा की कमी है I या समावेश नहीं हैI

12- अध्यापक का सहयोग का अभाव

13- नैतिकता का अभाव

14- जनतांत्रिक भावना का अभाव

15- नियमों की कठोरता

16- संशोधन प्रक्रिया कठिन है

17- शिक्षा परिषद (बोर्ड), यूनिवर्सिटी, मान्यता प्राप्त सस्थाओ को स्वतन्त्र का अस्तित्व नहीं

18- अनावश्यक सामग्री का अधयनन

19- राजनीति से प्रभावित

20- जमीनी पृष्ठभूमि से बेमेल