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प्रमुख अक्षांश रेखाएं (Latitude Lines) कौन कौनसी है

8प्रमुख अक्षांश रेखाएं (Latitude Lines) क्या है।

अक्षांश रेखाएं (Latitude Lines) परिभाषा- अक्षांश रेखाएं वे काल्पनिक रेखाएं हैं जो पृथ्वी को पूर्व से पश्चिम (East-West) दिशा में काटती हैं, लेकिन ये उत्तर और दक्षिण दिशा (North-South) का मान बताती हैं।

प्रमुख अक्षांश रेखाएं- प्रमुख अक्षांश रेखाएं निम्नलिखित है।

1- भूमध्य रेखा (0°)

2- कर्क रेखा (23.5° उत्तर)

3- मकर रेखा (23.5° दक्षिण)

4- आर्कटिक वृत्त (66.5° उत्तर)

5- अंटार्कटिक वृत्त (66.5° दक्षिण)

1- भूमध्य रेखा (0°)- भूमध्य रेखा (Equator) पृथ्वी की एक काल्पनिक रेखा है जो पृथ्वी को उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) और दक्षिणी गोलार्ध (Southern Hemisphere) में बराबर रूप से बाँटती है।

1- भूमध्य रेखा (0°) मुख्य विशेषताएँ-

1- अक्षांश (Latitude) 0° होती है।यह रेखा 0° अक्षांश कहलाती है।

2- सबसे लंबी अक्षांश रेखा होती है, क्योंकि यह पृथ्वी के केंद्र से होकर गुजरती है।

3- जलवायु: भूमध्य रेखा के आसपास का क्षेत्र “भूमध्यीय क्षेत्र” कहलाता है, जहाँ पूरे वर्ष गर्मी और आर्द्रता (Humidity) अधिक होती है। यहां वर्षा भी प्रचुर मात्रा में होती है।

4- सूर्य का प्रभाव- वर्ष में दो बार (21 मार्च और 23 सितंबर) सूर्य ठीक भूमध्य रेखा के ऊपर होता है, जिससे दिन और रात बराबर होते हैं (विषुव या Equinox कहते हैं)।

5- पृथ्वी के घूमने की गति- भूमध्य रेखा पर पृथ्वी की घूमने की गति सबसे तेज़ होती है — लगभग 1670 किमी/घंटा।

भूमध्य रेखा (0°) किन देशों से गुजरती है।

भूमध्य रेखा अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों से होकर गुजरती है। मुख्य देश निम्न है।

1- इक्वाडोर

2- ब्राज़ील

3- कांगो

4- इंडोनेशिया

5- केन्या

6- सोमालिया आदि।

2- कर्क रेखा (23.5° उत्तर) – कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पृथ्वी पर एक काल्पनिक रेखा है, जो 23.5° उत्तर अक्षांश (Latitude) पर स्थित है। यह रेखा पृथ्वी को जलवायु क्षेत्रों में बाँटने और सूर्य की किरणों की स्थिति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

2- कर्क रेखा (23.5° उत्तर) मुख्य विशेषताएँ- 

I- स्थिति- कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध में भूमध्य रेखा से 23.5° उत्तर की ओर स्थित है।

II- सौर संबंध– हर वर्ष 21 जून को सूर्य की किरणें सीधे कर्क रेखा पर पड़ती हैं। इसे ग्रीष्म अयनांत (Summer Solstice) कहा जाता है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है। सूर्य कभी भी इससे उत्तर में सीधा नहीं चमकता।

III- नाम का अर्थ- इसका नाम ‘कर्क’ (Cancer) नक्षत्र के आधार पर पड़ा है। जब प्राचीन काल में सूर्य इस बिंदु पर होता था, तब वह कर्क राशि में दिखाई देता था।

IV- जलवायु क्षेत्र– कर्क रेखा और मकर रेखा (23.5° दक्षिण) के बीच का क्षेत्र उष्णकटिबंधीय (Tropical Zone) कहलाता है, जहाँ गर्म और शुष्क जलवायु होती है।

V- भारत में कर्क रेखा- यह रेखा भारत के 8 राज्यों से होकर गुजरती है:

1- गुजरात

2- राजस्थान

3- मध्य प्रदेश

4- छत्तीसगढ़

5- झारखंड

6- पश्चिम बंगाल

7- त्रिपुरा

8- मिजोरम

VI- पृथ्वी के झुकाव के कारण- कर्क रेखा 23.5° पर इसलिए है क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5° झुकी हुई है।

3- मकर रेखा (23.5° दक्षिण)- मकर रेखा (Tropic of Capricorn) वह काल्पनिक रेखा है जो पृथ्वी के 23.5° दक्षिण अक्षांश पर स्थित है। यह रेखा उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध की जलवायु प्रणालियों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मकर रेखा की कुछ मुख्य विशेषताएँ –

1- स्थिति और महत्व- स्थान, मकर रेखा 23.5° दक्षिण अक्षांश पर स्थित है। यह रेखा पृथ्वी के दक्षिणी भाग में है और यह दर्शाती है कि सूर्य की किरणें किस अक्षांश तक सीधी पड़ सकती हैं।

2- जलवायु क्षेत्र- यह रेखा उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की दक्षिणी सीमा के रूप में काम करती है। इस सीमा के भीतर के क्षेत्र में मौसम आमतौर पर गर्म, आर्द्र और अक्सर वर्षभर समान रहने वाला होता है।

3- सौर संबंधी महत्व- सूर्य का सीधा प्रकाश हर वर्ष 21 दिसम्बर को (जब दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी का आयाम होता है) सूर्य की किरणें सीधे मकर रेखा पर पड़ती हैं। इसी दिन सूर्य की स्थिति आकाश में ऊँचीतम होती है और यह दिन सबसे लंबा नहीं होता, परंतु दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी की शुरुआत का संकेत होता है। पृथ्वी की धुरी का झुकाव: पृथ्वी अपने अक्ष पर लगभग 23.5° झुकी हुई है। यही कारण है कि सूर्य की किरणें कभी भी मकर रेखा के दक्षिण या कर्क रेखा के उत्तर से बाहर सीधी नहीं पड़ पातीं।

4- नामकरण का इतिहास- नाम का अर्थ, मकर रेखा का नाम प्राचीन काल के खगोलीय मानचित्रण और नक्षत्रों के आधार पर रखा गया है। जब सूर्य दिसम्बर में मकर राशि (Capricorn) के पास होता था, तो इसे इस नाम से जाना जाने लगा। हालाँकि आज के खगोलीय निर्धारण में सूर्य की स्थिति मकर राशि के साथ पूरी तरह मेल नहीं खाती, पर परंपरा बनी हुई है।

5- भौगोलिक संदर्भ- दुनिया भर में मकर रेखा, मकर रेखा विभिन्न महाद्वीपों से होकर गुजरती है, जिसके परिणामस्वरूप इसके संपर्क में आने वाले क्षेत्रों में विविध जलवायु परिस्थितियाँ देखने को मिलती हैं।

6- जलवायु पर प्रभाव– इस रेखा के आसपास के क्षेत्र अधिक गर्मी और कम मौसमी बदलाव के कारण अक्सर उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जलवायु का अनुभव करते हैं।

4- आर्कटिक वृत्त (66.5° उत्तर)- आर्कटिक वृत्त (Arctic Circle) पृथ्वी की एक काल्पनिक रेखा है, जो 66.5° उत्तर अक्षांश पर स्थित होती है। यह रेखा उत्तरी ध्रुव के पास स्थित है और विशेष खगोलीय घटनाओं के लिए जानी जाती है।

आर्कटिक वृत्त (66.5° उत्तर) मुख्य विशेषताएँ- 

1- स्थिति- यह रेखा 66.5° उत्तर अक्षांश पर स्थित होती है। यह पृथ्वी पर वह सीमा दर्शाती है जिसके उत्तर में कम से कम एक दिन साल में ऐसा होता है जब सूरज कभी अस्त नहीं होता (Midnight Sun) और एक दिन ऐसा होता है जब सूरज कभी उगता नहीं (Polar Night)।

2- खगोलीय घटनाएँ- 21 जून (ग्रीष्म अयनांत – Summer Solstice) को

आर्कटिक वृत्त के उत्तर में सूर्य 24 घंटे तक दिखाई देता है — इसे Midnight Sun (मध्यरात्रि का सूर्य) कहा जाता है।21 दिसम्बर (शीत अयनांत – Winter Solstice) को यहाँ 24 घंटे अंधकार रहता है — इसे Polar Night (ध्रुवीय रात्रि) कहते हैं।

3- जलवायु और प्रकृति- आर्कटिक वृत्त के अंदर का क्षेत्र बहुत ठंडा होता है यहाँ बर्फ से ढके मैदान, हिमखंड (Glaciers), और ध्रुवीय वन्यजीव जैसे ध्रुवीय भालू (Polar Bear), सील, और आर्कटिक लोमड़ी पाई जाती हैं।

4-आर्कटिक वृत्त (66.5° उत्तर) किन देशों से होकर गुजरती है- आर्कटिक वृत्त 8 देशों से होकर गुजरता है:

1- नॉर्वे

2- स्वीडन

3- फिनलैंड

4- रूस

5- संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का)

6- कनाडा

7- ग्रीनलैंड (डेनमार्क का हिस्सा)

8- आइसलैंड (सिर्फ एक छोटा द्वीप हिस्सा)

5- महत्व- यह रेखा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र की सीमा को दर्शाती है।जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के प्रभावों को मापने में यह क्षेत्र सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण माना जाता है।

5- अंटार्कटिक वृत्त (66.5° दक्षिण)– अंटार्कटिक वृत्त (Antarctic Circle) पृथ्वी की एक काल्पनिक रेखा है, जो 66.5° दक्षिण अक्षांश पर स्थित होती है। यह रेखा दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की उत्तरी सीमा को दर्शाती है, ठीक वैसे ही जैसे आर्कटिक वृत्त उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र की सीमा है।अंटार्कटिक वृत्त (66.5° दक्षिण) की मुख्य विशेषताएँ-

1- स्थिति- अंटार्कटिक वृत्त 66.5° दक्षिण अक्षांश (latitude) पर स्थित है।

यह रेखा पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में है और इससे दक्षिण का पूरा क्षेत्र अंटार्कटिक कहलाता है।

2- खगोलीय घटनाए- Midnight Sun (मध्यरात्रि का सूर्य)- हर साल 21 दिसंबर (शीत अयनांत) को अंटार्कटिक वृत्त के दक्षिण में सूर्य 24 घंटे तक दिखाई देता है — यानी रात नहीं होती।

3- Polar Night (ध्रुवीय रात्रि)- हर साल 21 जून (ग्रीष्म अयनांत) को अंटार्कटिक वृत्त के दक्षिण में 24 घंटे तक अंधेरा रहता है — यानी सूर्य नहीं उगता।

3- जलवायु और पर्यावरण- यह क्षेत्र अत्यंत ठंडा, बर्फीला और शुष्क होता है। औसत तापमान शून्य से नीचे रहता है, और यहाँ बर्फ की मोटी परतें साल भर रहती हैं।

4- महाद्वीप- अंटार्कटिक वृत्त के भीतर का मुख्य क्षेत्र अंटार्कटिका महाद्वीप है।

यहाँ कोई स्थायी मानव बस्ती नहीं है, सिर्फ वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र होते हैं।

यह क्षेत्र ध्रुवीय जीवों का घर है, जैसे – पेंगुइन, सील, व्हेल आदि।

5- महत्वकेयह रेखा पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की सीमा बताती है।अंटार्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव बहु

त तेज़ी से देखे जा रहे हैं। यह क्षेत्र विश्व का सबसे बड़ा मीठे पानी का भंडार है — बर्फ के रूप में।

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